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मंगलवार, 31 अगस्त 2010

वह क्या सोचेगा इस संसार, इस देश के बारे मै

वह क्या सोचेगा इस संसार, इस देश के बारे मै
सूरज की गर्मी मै पसीना बहाने मै
वक्त गुजर जाता है दो रोटी कमाने मै
वह क्या सोचेगा इस संसार, इस देश के बारे मै
जो रोते हुवे बच्चे को चुप करा नहीं पाता
शाम होने के बाद भी घर पहुँच नहीं पाता
वह क्या सोचेगा इस संसार, इस देश के बारे मै

सोमवार, 9 अगस्त 2010

"मैं" और "तुम"

प्रेमी प्रेमिका के घर का दरवाजा खटखटाता है
प्रेमिका : बाहर कोन है
प्रेमी : मै हूँ
प्रेमिका : इस घर मै एक साथ "मैं" और "तुम" नहीं रह सकते है
प्रेमी वापस लोट जाता है
कुछ दिनों बाद वापस लोट के आता है फिर दरवाजा खटखटाता है
फिर प्रेमिका कहती है
प्रेमिका : बाहर कोन है
प्रेमी कहता है
प्रेमी : तू ही है !
प्रेमिका दरवाजा खोल देती है