मुखपृष्ठ

सोमवार, 9 जनवरी 2012

जो खेत, हल चलने से दुखी हो

जो पत्थर,
छेनी और हथोडी की मार से रोने लगे
वो कभी मूर्ति का रूप नहीं ले सकता

जो खेत,
हल चलने से दुखी हो
वो कभी अनाज पैदा नहीं कर सकता

बिलकुल वैसे ही
माता पिता और शिक्षक की डाट- मार को
न समझने वाला कभी सफल नहीं हो सकता....

सच्ची माँ वाही है जो
अपने बेटे के एबो में हुनर देखती है
















सच्चा पिता वाही है जो
गलतिय करने के पहले सचेत करता है

सच्चा शिक्षक वाही है जो
भविष्य के सफल मार्ग निर्माण करता है
--------- अनूप पालीवाल 

कोई टिप्पणी नहीं: