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मंगलवार, 23 नवंबर 2010

हम तुम्हारे तब भी थे

कहने को तो हम, खुश अब भी हैं
हम तुम्हारे तब भी थे, हम तुम्हारे अब भी हैं
रूठने-मनाने के इस खेल में, हार गए हैं हम
हम तो रूठे तब ही थे, आप तो रूठे अब भी हैं
मेरी ख़ता बस इतनी है, तुम्हारा साथ चाहता हूँ
तब तो पास होके दूर थे, और दूरियाँ अब भी हैं
मुझसे रूठ के दूर हो, पर एहसास तो करो
प्यासे हम तब भी थे, प्यासे हम अब भी हैं
इस इंतज़ार में मेरा क्या होगा, तुम फिक्र मत करना
सुकून से हम तब भी थे, सुकून से हम अब भी हैं
बस थोड़ा रूठने के अंजाम से डरते हैं
डरते हम तब भी थे, डरते हम अब भी हैं
हमारी तमन्ना कुछ ज़्यादा नहीं थी, जो पूरी न होती
कम में गुज़ारा तब भी था, कम में गुज़ारते अब भी हैं
चलते हैं तीर दिल पे कितने, जब तुम रूठ जाते हो
ज़ख्मी हम तब भी थे, ज़ख्मी हम अब भी हैं
मेरी मासूमियत को तुम, ख़ता समझ बैठे हो
मासूम हम तब भी थे, मासूम हम अब भी हैं
आप हमसे रूठा न करें, बस यही इल्तिजा है
फ़रियादी हम तब भी थे, फ़रियादी हम अब भी हैं
तुम हो किस हाल में, कम से कम ये तो बता दो
बेखब़र हम तब भी थे, बेखब़र हम अब भी हैं

जो याद आजाये तू ...

जो याद आजाये तू ...

तो भीगे लम्हात लिखू
महकती हुई बात लिखू
बहकता हुआ साथ लिखू
               जो याद ....

रात गुजरती नहीं
दिन ढलता नहीं
कोई कुछ कहता है
मै सुनता नहीं
               जो याद ....

तुझसे मिलने की चाहत रहती है
ये सांसे हर पल कहती है
तू मेरे जिस्म मै बहती है
पिघलती, जलती, मचलती है
                   जो याद ...

ईश्वर का रूप है

ईश्वर का रूप है
धुप है छाँव है गाँव है
जो पार लगा दे वो नाव है

सुख का आंचल है
ममता का जल है
इनके कदमो तले
हमारा बेहतर कल है

रविवार, 21 नवंबर 2010

अपेट लिया जनता का माल....

मनमोहन जी आपके सत्ता के लालच ने यह कैसा सिला दिया.....
खजाना जनता ने भरा .....
और आप के साथी भ्रष्टो ने लुट लिया ...

ओ ४० चोर है तो आप अलीबाबा है.....
ओ डकैत है तो आप सरदार है....
समझ मै नहीं आता की आप अपनी सत्ता की सलामती के लिए
कितने लोगो के घर भरोगे
और जनता के पैसे लूटोगे ....

और तो और ...
महंगाई बढाकर चोरो के पेट भर दिए...
और गरीबो को मौत के दरवाजे पार खड़ा कर दिया ....
वाह री सरकार... तेरा कमाल.... अपेट लिया जनता का माल....
ये तो कुछ ही घोटाले है .... नजाने कितने राज दफ़न कर डाले है

मंगलवार, 9 नवंबर 2010

संभाल कर रखना

अपने को एक पूंजी की तरह
संभाल कर रखना
क्योकि
केश, लडकिया और नाख़ून
अपनी जगह से एक बार गिरकर
कहीं के नहीं रहते

दिल्लाला हो जाता है

दिल कोइला है
काला
जब इसे प्यार की चिंगारी लगाती है तो
जलता है
और
विश्वास की हवा मै तेज लपटे उठती है
और गहराई से जलता है
कुंदन की तरह हो जाता है
चन्दन की तरह खुशबु फेलाता है
लाल होता है  
गहरा लाल
खून की तरह रगों मै बहता लाल
गुलाब की तरह खिलता लाल
सूरज की तरह निकलता लाल
दिल्लाला हो जाता है
दिलदार हो जाता है

रविवार, 7 नवंबर 2010

प्रेम जन्म लेता है

विचार और व्यव्हार से
आकर्षण जन्म लेता  है

आकर्षण और विश्वास से
प्रेम जन्म लेता है

गुरुवार, 4 नवंबर 2010

शुभ दीपावली

विशाल अथाह, अनगिनत, अनंत, घनघोर
कालमय अँधेरा
और
एक छोटा दिया
छोटी बाती
जरा सा तेल
और छोटी सी जलती लो

अँधेरे को चीरती, भेदती, काटती किरने
अपने प्रभाव से कालमय अँधेरे को परास्त करती

इस प्रयास मै दीपक अपने साथ
बाती, तेल और छोटे मोटे साधनों की आहुति देता है

क्या हम  ?
हमारा जीवन
हमारा मूल्य
हमारी अहमियत
हमारी उपयोगिता
इस छोटे से दीपक से भी कम है ....?

प्रयास करे, दीपक बने
सब की रह आसान और रोशन करे ...

शुभ दीपावली