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बुधवार, 1 अप्रैल 2009

कपास के लिए मशहूर मध्य प्रदेश के सेंधवा

कपास के लिए मशहूर मध्य प्रदेश के सेंधवा कस्बे के करीब 900 करोड़ रुपये के व्यवसाय को महाराष्ट्र कपास फेडरेशन की एकाधिकार खरीदी योजना को समाप्त किए जाने के बाद गहरा धक्का पहुंचा है। वर्ष 2002 में लिए गए इस निर्णय के कारण कभी देश में द्वितीय क्रम की कपास मंडी होने का दम भरने वाले इस कस्बे से 50 प्रतिशत से अधिक व्यापारी अपनी इकाइयां बंद कर पलायन कर महाराष्ट्र चले गए हैं। सेंधवा के कपास की खरीदी , छंटाई , प्रिसिंग तथा रिचनिंग की प्रक्रिया लगभग 85 वर्ष पुरानी है जिसे दो वर्ष पहले तक करीब 135 मिले अंजाम देती थी। सेंधवा में आजादी के पश्चात 3।4 छंटाई इकाइयां आसपास के कृषकों से कपास क्रय कर करीब 15 हजार गठानों का व्यवसाय करती थीं। सन 1974 में सेंधवा की किस्मत उस समय खुली जब पडोसी राज्य महाराष्ट्र ने वहां के कपास फेडरेशन में एकाधिकार खरीदी योजना लागू कर दी। इस व्यवस्था के तहत कृषकों को अपना माल व्यापारियों को न बेच कर फेडरेशन को देना था। फेडरेशन द्वारा सीजन की शुरुआत में कपास की गुणवत्ता के आधार पर समर्थन मूल्य घोषित किए जाने लगे तो उन्हें भावों में तेजी-मंदी का कोई फायदा नहीं मिलने तथा भुगतान के लिए कई चक्कर लगाने के कारण किसानों की बेचैनी बढने लगी। इस स्थिति का लाभ मध्य प्रदेश , गुजरात तथा कर्नाटक को हुआ। मध्य प्रदेश में खासतौर पर महाराष्ट्र सीमा से लगे सेंधवा , बुरहानपुर , खंडवा , धामनोद की मंडियों में महाराष्ट्र के किसानों की आवाजाही बढ गई। यहां उन्हें न केवल नगद भुगतान होता था बल्कि तेजी-मंदी तथा माल की गुणवत्ता की सही राशि मिलने लगी।

1994 के बाद इस व्यवसाय में सेंधवा में अपनी ऊंचाइयां छू लीं। इस दौरान म।प्र. शासन के (सी) श्रेणी के जिलों में उद्योग धंधों को बढावा देने के लिए विक्रय कर तथा उसके भुगतान तथा स्थायी विनियोग को स्थापित करने के लिए विशेष छूट दीं लिससे व्यापारियों में न केवल निश्चिन्तता का भाव रहा बल्कि उन्हें पूंजी का उपयोग करने का सुनहरा मौका भी मिल गया।


इस व्यवसाय को पुन: जीवित करने के लिए मंडी शुल्क , प्रवेश कर , निर्यात कर आदि सम्मिलित होकर करीब 700 रुपये प्रति गठान की कीमत में बढोतरी करने तथा इनमें छूट देने के लिए प्रशासन से अनुरोध कर चुके हैं। इस संबंध में प्रदेश के उद्योग तथा वाणिज्य मंत्री कैलाश चावला ने कहा कि राज्य सरकार की नवीन (उद्योग मिल नीति) में सेंधवा के कपास व्यवसाय को बचाने का प्रयास करेंगे।



3 टिप्‍पणियां:

अभिषेक मिश्र ने कहा…

Kisanon ke hit mein samadhan nikle. Swagat.

रचना गौड़ ’भारती’ ने कहा…

अच्छा लिखा है। शुभकामनाएँ।
आपका ब्लोगिंग जगत में स्वागत है।

Urmi ने कहा…

आप का ब्लोग मुझे बहुत अच्छा लगा और आपने बहुत ही सुन्दर लिखा है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !