सादगी गुमा दी माँ मैंने
जिंदगी उलझा ली माँ मैंने
मिली न सकूँ की बूंद तो
आँख अपनी भीगा ली माँ मैंने
तुम कहती हो होसला रखना
देख उम्मीद की लो बुझा दी माँ मैंने
बनाता था कभी कागज की कस्तिया
देख सारी कस्तिया डूबा दी माँ मैंने
आज तू भी अपने दुलारे से दूर है
और दूरिय और बढ़ा दी माँ मैंने
आज अपने चहरे पे खाक लेप के
अपनी होली मना ली माँ मैंने