मनुष्य आधुनिकता के साथ अपने आप को धर्म निरपेक्ष तो बना रहा है मगर वह मनुष्यता को छोड़ पशुता की तरफ जा रहा है ...
भोतिकता में इस तरह लिप्त हो गया है की घर, परिवार, और समाज से दूर हो रहा है ... और यूनान के महँ दार्शनिक "अरस्तु " ने कहा भी है की जो समाज में नहीं रहता वह या तो पशु है या कोई इश्वर ....
बिलकुल इसी तरह में कहता हु की जिसका कोई धर्म नहीं वह या तो पशु है या कोई एलियन ... बिना धर्म के मनुष्य तत्व पहचान नहीं है
इस लिए कोई भी व्यक्ति अपने धर्म को किसी और धर्म में परिवर्तित न करे .... उसी धर्म के सिधान्तो पर चल कर नेक कार्य करे ... खुद के लिए भी और ओरो के लिए भी ......
भोतिकता में इस तरह लिप्त हो गया है की घर, परिवार, और समाज से दूर हो रहा है ... और यूनान के महँ दार्शनिक "अरस्तु " ने कहा भी है की जो समाज में नहीं रहता वह या तो पशु है या कोई इश्वर ....
बिलकुल इसी तरह में कहता हु की जिसका कोई धर्म नहीं वह या तो पशु है या कोई एलियन ... बिना धर्म के मनुष्य तत्व पहचान नहीं है
इस लिए कोई भी व्यक्ति अपने धर्म को किसी और धर्म में परिवर्तित न करे .... उसी धर्म के सिधान्तो पर चल कर नेक कार्य करे ... खुद के लिए भी और ओरो के लिए भी ......
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