Anoop Mandloi (Paliwal) Sendhwa
dekana hai meri udan ko... or ucha kar do aasman ko...
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सोमवार, 14 जून 2010
अस्तित्व
तुम प्रेम के मोती को समेटे
हुए सागर हो
और मै नमक की ढली
प्रेम की तलाश मै
सागर मै डूबा
और
अपना अस्तित्व खो बैठा
अनूप पालीवाल
1 टिप्पणी:
परमजीत सिहँ बाली
ने कहा…
बहुत बढिया!!
14 जून 2010 को 2:00 pm बजे
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बहुत बढिया!!
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