1हाथ में पकड़ा फूल
चुपचाप कह सकता है
कि मैं अमन के लिए हूँ
पर हाथ में पकड़ी तलवार
बोलकर भी नहीं कह सकती
कि मैं अमन के लिए हूँ...
2
आसमान पर भले ही
आसमान जितना लिखा हो
कि ज़िन्दगी दु:ख है
तो भी
धरती पर आदमी
अपने बराबर तो लिख ही सकता है
कि ज़िन्दगी सुख भी है...
3
मैं रंगों के संग खेलता
रंग मेरे संग खेलते
रंगों के संग खेलता-खेलता
मैं इक रंग हो गया
कुछ बनने, कुछ न बनने से
बेफिक्र, बेपरवाह...
4
बिखरने के लिए लोग ही लोग
पर एक होने के लिए
एक भी मुश्किल...
दरख़्त पंछियों को जन्म नहीं देते
पर पंछियों को घर देते हैं...
चुपचाप कह सकता है
कि मैं अमन के लिए हूँ
पर हाथ में पकड़ी तलवार
बोलकर भी नहीं कह सकती
कि मैं अमन के लिए हूँ...
2
आसमान पर भले ही
आसमान जितना लिखा हो
कि ज़िन्दगी दु:ख है
तो भी
धरती पर आदमी
अपने बराबर तो लिख ही सकता है
कि ज़िन्दगी सुख भी है...
3
मैं रंगों के संग खेलता
रंग मेरे संग खेलते
रंगों के संग खेलता-खेलता
मैं इक रंग हो गया
कुछ बनने, कुछ न बनने से
बेफिक्र, बेपरवाह...
4
बिखरने के लिए लोग ही लोग
पर एक होने के लिए
एक भी मुश्किल...
दरख़्त पंछियों को जन्म नहीं देते
पर पंछियों को घर देते हैं...
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