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मंगलवार, 31 अगस्त 2010

वह क्या सोचेगा इस संसार, इस देश के बारे मै

वह क्या सोचेगा इस संसार, इस देश के बारे मै
सूरज की गर्मी मै पसीना बहाने मै
वक्त गुजर जाता है दो रोटी कमाने मै
वह क्या सोचेगा इस संसार, इस देश के बारे मै
जो रोते हुवे बच्चे को चुप करा नहीं पाता
शाम होने के बाद भी घर पहुँच नहीं पाता
वह क्या सोचेगा इस संसार, इस देश के बारे मै

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