dekana hai meri udan ko... or ucha kar do aasman ko...
कठनाई
मेरे लिए नही
नही मेरे तूफानी मन को यह स्वीकार नही !
मुझे तो चाहिए एक महान उंचा लक्ष्य
और उसके लिए उम्र - भर संघर्षो का अटूट क्रम ।
ओ कला ! तू खोल !
मानवता की धरोहर , अपने अमूल्य कोशो के द्वार
मेरे लिए खोल !
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