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बुधवार, 1 अप्रैल 2009




कठनाई से रीता जीवन


मेरे लिए नही


नही मेरे तूफानी मन को यह स्वीकार नही !


मुझे तो चाहिए एक महान उंचा लक्ष्य


और उसके लिए उम्र - भर संघर्षो का अटूट क्रम


कला ! तू खोल !


मानवता की धरोहर , अपने अमूल्य कोशो के द्वार


मेरे लिए खोल !


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