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शनिवार, 10 मार्च 2012

सफलता का पहला सूत्र आत्म विश्वास ही है। - पं. विजयशंकर मेहता


अक्सर हम दुनिया जीतने निकल पड़ते हैं लेकिन खुद पर ही भरोसा नहीं होता। खुद पर भरोसे का मतलब है आत्म विश्वास से। जब भी कोई मुश्किल काम करने जाते हैं तो एक बार सभी के हाथ कांप ही जाते है।

सफलता का पहला सूत्र आत्म विश्वास ही है। अगर हम खुद पर ही भरोसा नहीं कर सकते, खुद की योग्यता का अनुमान ही नहीं लगा सकते हैं तो फिर किसी पर भी किया गया विश्वास हमारे काम नहीं आ सकता।

रामायण के एक प्रसंग में चलते हैं। वानरों के सामने समुद्र लांघने का बड़ा लक्ष्य था। समुद्र पास बसी लंका से सीता की खोज खबर लाना थी। जामवंत ने कहा कौन है जो समुद्र पार जा सकता है। सबसे पहले आगे आए अंगद। बाली के पुत्र अंगद में अपार बल था लेकिन उन्होंने कहा कि मैं समुद्र लांघ तो सकता हंू लेकिन लौटकर आ सकूंगा या नहीं इस पर संदेह है। जामवंत ने उसे रोक दिया। क्योंकि उसमें आत्म विश्वास की कमी थी।

जामवंत की नजर हनुमान पर पड़ी। जो शांत चित्त से समुद्र को देख रहे थे जैसे ध्यान में डूबे हों। जामवंत ने समझ लिया कि हनुमान ही हैं जो पार जा सकते हैं। क्योंकि इतनी विषम परिस्थिति में भी वो शांत चित्त हैं। जामवंत ने हनुमान को उनका बल याद दिलाया और बचपन की घटनाएं सुनाई।

हनुमान विश्वास से भर गए। एक ही छलांग में समुद्र लांघने को तैयार हो गए। उनका यह विश्वास काम आया। समुद्र लांघा, सीता का पता लगाया, और फिर इस पार लौट आए।

अंगद भी ये काम कर सकते थे लेकिन उनके भीतर खुद की योग्यता पर विश्वास नहीं था। इस आत्म विश्वास की कमी से वो एक बड़ा मौका चूक गए।


पं. विजयशंकर मेहता

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