जात पात का भेद मिटा दो कहते है नेता और ........... "जातिप्रमाणपत्र" हाथ में थमा देते है
गरीब को गरीब होने का ..."सर्टिफिकेट"... बनबाना पड़ता है इस देश में ............वो भी रिश्वत देकर
मंदिरों पर टेक्स , हज के लिए अनुदान एसा क्यों ?
छिप छिप कर मिशनरियां धर्मपरिवर्तन का षड़यंत्र चला रही हैं ...?
निराश्रित बेसहाराओ को बेंक की लाइन में लगना पड़ता है निराश्रित पेंशन के लिए (बिना किसी सहारे के)
दुसरे ने किया तो भ्रस्टाचार , अपनों ने किया तो आनाकानी
जनता खजाना भरती है अपने पैसे(टेक्स) से उसे कोई "हक" नहीं, खजाना खाली करने वालों (भ्रस्ट नेता) के कदमो में पूरा देश .
देश की कई बेटियों को इज्ज़त ढकने कपडे नसीब नहीं..... नेता देश की इज्ज़त बताकर खेलों के नाम पर करोडो गबन कर रहे
भारत के बेटे अस्पतालों की गैलरियों में पड़े इलाज को तरसते दम तोड़ रहे.... देश की अम्मा सरकारी खर्च पर विदेशों में "गुप्त" बीमारियों का इलाज करा रही. देश जानना चाहता है कोनसी बीमारी थी जिसका इलाज भारत में नहीं.??????
विदेशी पर्यटक के साथ बदतमीज़ी ....... सात दिन में "सजा"........... संसद पर "बमविष्फोट" सत्रह साल तक मेहमानी नवाजी
लोग भूख से मर रहे हैं, किसान आत्महत्या कर रहे है कर्ज के बोझ से ...... और सरकारें घोटालों में ब्यस्त हैं.
प्रजातंत्र है और....... प्रजा (आम आदमी) की औकात ही नहीं "सपने" में भी चुनाव लड़ने की ..... क्या बेहतर होगा यदि उम्मीदवार का चयन आइ. ए. एस. / आइ.पी.एस. की तरह योग्यता के साथ ही राष्ट्र सेवा के आधार पर हो, और चुनाव खर्च व प्रबंधन खजाने से किया जाये...???
"समानता का अधिकार" हर नागरिक का "मौलिक" अधिकार है,भारत के संविधान में फिर आरक्षण,अल्पसंख्यकवाद,विशेषाधिकार .... जाति धर्म के अनुसार अलग-अलग कानून क्यों ?
जनसेवक "दमनकारी" हो गया है सत्ता के मद में... इन्हें होश में लाइए नहीं तो ... अंग्रेजो और मुगलों से बत्तर गुलामी को सहन कीजिये ... एसा लगता है अब देश हित में होने वाली क्रांति अब नहीं होगी .... क्यों की गाँधी ने दो बूंद अहेंसा की सारे देशवासियों को पिलाई है गाँधी ये नहीं जनता था की जिन लोगो के हाथ में देश की सत्ता सोप के जा रहा है वो अंग्रेजो से बत्तर है ... अंग्रेज तो भी अहेंसा से मन गए थे मगर ये क्रांति के बिना नहीं मानने वाले ...... जय हिंद ..... वन्दे मातरम .........
इन को हम गालियाँ तो बहुत देते हैं पर वोट उन्ही को देते है . इन को मुंह तोड़ जबाब देना होगा.
गरीब को गरीब होने का ..."सर्टिफिकेट"... बनबाना पड़ता है इस देश में ............वो भी रिश्वत देकर
मंदिरों पर टेक्स , हज के लिए अनुदान एसा क्यों ?
छिप छिप कर मिशनरियां धर्मपरिवर्तन का षड़यंत्र चला रही हैं ...?
निराश्रित बेसहाराओ को बेंक की लाइन में लगना पड़ता है निराश्रित पेंशन के लिए (बिना किसी सहारे के)
दुसरे ने किया तो भ्रस्टाचार , अपनों ने किया तो आनाकानी
जनता खजाना भरती है अपने पैसे(टेक्स) से उसे कोई "हक" नहीं, खजाना खाली करने वालों (भ्रस्ट नेता) के कदमो में पूरा देश .
देश की कई बेटियों को इज्ज़त ढकने कपडे नसीब नहीं..... नेता देश की इज्ज़त बताकर खेलों के नाम पर करोडो गबन कर रहे
भारत के बेटे अस्पतालों की गैलरियों में पड़े इलाज को तरसते दम तोड़ रहे.... देश की अम्मा सरकारी खर्च पर विदेशों में "गुप्त" बीमारियों का इलाज करा रही. देश जानना चाहता है कोनसी बीमारी थी जिसका इलाज भारत में नहीं.??????
विदेशी पर्यटक के साथ बदतमीज़ी ....... सात दिन में "सजा"........... संसद पर "बमविष्फोट" सत्रह साल तक मेहमानी नवाजी
लोग भूख से मर रहे हैं, किसान आत्महत्या कर रहे है कर्ज के बोझ से ...... और सरकारें घोटालों में ब्यस्त हैं.
प्रजातंत्र है और....... प्रजा (आम आदमी) की औकात ही नहीं "सपने" में भी चुनाव लड़ने की ..... क्या बेहतर होगा यदि उम्मीदवार का चयन आइ. ए. एस. / आइ.पी.एस. की तरह योग्यता के साथ ही राष्ट्र सेवा के आधार पर हो, और चुनाव खर्च व प्रबंधन खजाने से किया जाये...???
"समानता का अधिकार" हर नागरिक का "मौलिक" अधिकार है,भारत के संविधान में फिर आरक्षण,अल्पसंख्यकवाद,विशेषाधिकार .... जाति धर्म के अनुसार अलग-अलग कानून क्यों ?
जनसेवक "दमनकारी" हो गया है सत्ता के मद में... इन्हें होश में लाइए नहीं तो ... अंग्रेजो और मुगलों से बत्तर गुलामी को सहन कीजिये ... एसा लगता है अब देश हित में होने वाली क्रांति अब नहीं होगी .... क्यों की गाँधी ने दो बूंद अहेंसा की सारे देशवासियों को पिलाई है गाँधी ये नहीं जनता था की जिन लोगो के हाथ में देश की सत्ता सोप के जा रहा है वो अंग्रेजो से बत्तर है ... अंग्रेज तो भी अहेंसा से मन गए थे मगर ये क्रांति के बिना नहीं मानने वाले ...... जय हिंद ..... वन्दे मातरम .........
इन को हम गालियाँ तो बहुत देते हैं पर वोट उन्ही को देते है . इन को मुंह तोड़ जबाब देना होगा.
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