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मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

टॉप 6 सीईओ से सीखें मैनेजमेंट मंत्र

हर पद अपने साथ नई जिम्मेदारियां लेकर आता है। जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, आपको रुटीन कामों के अलावा कंपनी की नीति से तालमेल बिठाते हुए कई प्रबंधकीय कार्य भी करने पड़ते हैं। कई महत्वपूर्ण फैसले लेने होते हैं। आज आप भले ही अपनी पहली या दूसरी नौकरी कर रहे हैं, पर भविष्य में हो सकता है कि आप अपना व्यवसाय शुरू करें या फिर कंपनी में महत्वपूर्ण पदों पर काम करने का मौका मिले। उच्चपदों पर कौन से प्रबंधकीय और नेतृत्व गुण आपको सफलता दिला सकते हैं, जानते हैं देश के टॉप सीईओ से उनके मैनेजमेंट मंत्र के जरिये

कर्मियों को विकसित होने का मौका दें
राजीव चोपड़ा, एमडी एंड सीईओ, फिलिप्स इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया लि.
किसी व्यक्ति को संस्थान में हायर करते समय मैं उम्मीदवार की आगे बढ़ने और लक्ष्यों को हासिल करने की इच्छा शक्ति, सीखने की क्षमता, उसकी सोच के विस्तार को तरजीह देता हूं। भले ही किसी व्यक्ति का पूर्व अनुभव कितना भी हो, पर मैं यह ध्यान रखता हूं कि वह उम्मीदवार मेरे संस्थान में कितना उपयोगी रहेगा। इस प्रक्रिया में अहम् बात उन उम्मीदवारों को बढ़ावा देने के लिए सही वातावरण तैयार करने से जुड़ी है। उम्मीदवार रखते समय जरूरी नहीं कि वे उसी क्षेत्र से जुड़े हों। अच्छा परफॉर्म करने वाले हमेशा ही अच्छा परफॉर्म करेंगे, यदि वे आधारभूत स्किल्स रखते हैं, बशर्ते आपके संस्थान में बढ़ोतरी और विकास के वे तमाम अवसर मौजूद हों। बीएमआईएस को विकसित करें
राणा कपूर, एमडी एंड सीईओ, यस बैंक
बिजनेस मैनेजमेंट, इनोवेशन और उचित स्ट्रेटजी यह तीन बातें ऐसी हैं, जिसने यस बैंक के आगे बढ़ने में भूमिका निभाई है। परंपरागत रूप से लोग केवल इसे एचआर कार्यो के तौर पर देखते हैं, पर यह कार्य स्वयं में बड़ा विस्तृत है। हमारे यहां बड़े स्तर पर 20 अलग-अलग पृष्ठभूमि के ऑफिसर हैं, जो बैंक के बिजनेस, रुटीन कार्यों और ऑपरेशनल लीडरशिप में बराबर भागेदारी निभाते हैं, जिनका प्रमुख कार्य विभिन्न विभागों के कार्यो को नियमितता प्रदान करना होता है। कहने का आशय है कि सिर्फ कंपनी के विजन को आउटलाइन करना काफी नहीं है, उसे कार्यात्मक रूप भी देना होता है।  

कम्युनिकेशन है महत्वपूर्ण कुंजी
विक्रम बख्शी, मैनेजिंग डायरेक्टर, मैकडॉनल्ड, इंडिया (उत्तर व पूर्व)
यहां मंत्र है कि हम अपने नए व रचनात्मक विचारों पर निरंतर कार्य करते रहें। जब कोई नया बिजनेस विचार आता है तो हम यह भूल जाते हैं कि इसे उपभोक्ता द्वारा स्वीकार करने और समझने में समय लगेगा। हर बिजनेस को कुछ समय और पैसे की जरूरत होती है। उसके लिए मेहनत करनी पड़ती है। आपकी स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए और आपका ब्रांड अलग उभर कर आना चाहिए। लंबे समय तक बिजनेस को बनाए रखने में और उपभोक्ताओं को खुद से जोड़ने में ब्रांड की बड़ी भूमिका होती है। जुझारू बनें और निरंतर कार्य करते रहें। सफलता का कोई शॉर्ट कट नहीं होता।

 अपनी सोच को आवाज देने में सक्षम लोगों को चुनें
दीप कालरा, फाउंडर एंड सीईओ, मेकमाईट्रिप
अक्सर नियोक्ता अपने यहां ऐसे कर्मियों को रखने की गलती करते हैं, जिनमें वे अपनी छवि देख रहे होते हैं। ऐसा व्यक्ति हो, जो प्रोफाइल में आपकी सोच के मुताबिक हो और बातचीत से भी आप संतुष्ट हों, जरूरी नहीं कि वह नौकरी में आपके लिए परफेक्ट साबित हो। ऐसा व्यक्ति, जो आपकी राय को चुनौती दे सकता हो, अपनी बात को पेश करना जानता हो और मात्र जॉब पाने के लिए आपकी हर बात को स्वीकार करने के लिए तैयार न हो, वह उम्मीदवार आपके लिए अधिक उपयुक्त होगा। तेजी से बदलते परिवेश में, जहां तरक्की के लिए निरंतर इनोवेशन की जरूरत हो, वहां विभिन्नता होना भी जरूरी है।  

जो अच्छा है, उपयोगी है, उसे बचाएं
किशोर बियानी, फाउंडर एंड ग्रुप सीइओ, फ्यूचर ग्रुप
यह प्रकृति का नियम है और फ्यूचर ग्रुप में भी इसी बात को अपनाया जाता है कि जो भी अच्छा और उपयोगी हो, उसे सहेज कर रखें। जीवन प्रक्रिया में संरचना, संरक्षण और संहार यह तीन चीजें होती हैं। मेरी राय में यह बातें कॉरपोरेट कार्य संस्कृति पर भी लागू होती है। उपयोगी चीजों को हम सिर्फ संभाल कर नहीं रखते, बल्कि उसका पुनर्निमाण भी करते हैं। महत्वहीन चीजों को नष्ट कर दिया जाता है। मैं कार्यस्थल पर भी इस बात से पूरी तरह इत्तेफाक रखता हूं। इसे निरंतर बदलाव और आगे विकास करने की दृष्टि से देखा जाना चाहिए। इस संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है, आपको स्वयं को बदलाव के लिए तैयार रखना चाहिए। यही वह बिंदु है, जहां आप किसी भी चुनौती या मोड़ के लिए खुद को तैयार रख सकते हैं।

प्रोडक्टिव कार्य माहौल होना जरूरी
सचिन बंसल, सीईओ एंड को-फाउंडर, फ्लिपकार्ट
स्वस्थ और उत्पादक कार्य माहौल तैयार करने के लिए सुलभता और पारदर्शिता का होना जरूरी है। उदाहरण के लिए फ्लिपकार्ट में हमारे यहां कोई केबिन नहीं है। मेरे सहसंस्थापक बिन्नी बंसल समेत प्रत्येक व्यक्ति खुली स्पेस में बैठता है। कहीं भी, छोटा-सा भी विभाजन नहीं है। मीटिंग रूम का इस्तेमाल तभी किया जाता है, जब हम मीटिंग कर रहे हों। यहां तक कि हमारे यहां ब्रेन स्टॉर्मिग सत्र भी ओपन फ्लोर में किए जाते हैं। यह सभी एक ऐसे संगठन का परिवेश बनाने में मदद करते हैं,जो खुला है और प्रवाहमान है।

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