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बुधवार, 1 अप्रैल 2009

उस के बिन चुप चुप रहना अब च्छा लगता है

खामुशी से एक दर्द को सहना अच्छा लगता है

जिस हस्ती की याद मेरे आंसू बरसते हैं

सामने उस के कुछ न कहना अच्छा लगता है

मिल कर उस से बिछड़ न जाऊं डरता रहता हूँ

इस लिए बस दूर ही रहना अच्छा लगता है

जी चाहे सारी खुशयां ले कर उस को देयदून

उस के प्यार मे सब कुछ खोना अच्छा लगता है

उस का मिलना न मिलना किस्मत की बात है

लेकिन उसको पाने की कोशिस करना अच्छा लगता है

उस के बिना सारी खुशयां आजब लगती हैं

उसकी यादो के साथ चलना अच्छा लगता है

हम से मोहब्बत की नुमयाइश न हो सकी

अब महफिल मे भी तन्हा रहना अच्छा लगता है