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मंगलवार, 9 नवंबर 2010

दिल्लाला हो जाता है

दिल कोइला है
काला
जब इसे प्यार की चिंगारी लगाती है तो
जलता है
और
विश्वास की हवा मै तेज लपटे उठती है
और गहराई से जलता है
कुंदन की तरह हो जाता है
चन्दन की तरह खुशबु फेलाता है
लाल होता है  
गहरा लाल
खून की तरह रगों मै बहता लाल
गुलाब की तरह खिलता लाल
सूरज की तरह निकलता लाल
दिल्लाला हो जाता है
दिलदार हो जाता है

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