मुखपृष्ठ

गुरुवार, 4 नवंबर 2010

शुभ दीपावली

विशाल अथाह, अनगिनत, अनंत, घनघोर
कालमय अँधेरा
और
एक छोटा दिया
छोटी बाती
जरा सा तेल
और छोटी सी जलती लो

अँधेरे को चीरती, भेदती, काटती किरने
अपने प्रभाव से कालमय अँधेरे को परास्त करती

इस प्रयास मै दीपक अपने साथ
बाती, तेल और छोटे मोटे साधनों की आहुति देता है

क्या हम  ?
हमारा जीवन
हमारा मूल्य
हमारी अहमियत
हमारी उपयोगिता
इस छोटे से दीपक से भी कम है ....?

प्रयास करे, दीपक बने
सब की रह आसान और रोशन करे ...

शुभ दीपावली

कोई टिप्पणी नहीं: