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मंगलवार, 23 नवंबर 2010

जो याद आजाये तू ...

जो याद आजाये तू ...

तो भीगे लम्हात लिखू
महकती हुई बात लिखू
बहकता हुआ साथ लिखू
               जो याद ....

रात गुजरती नहीं
दिन ढलता नहीं
कोई कुछ कहता है
मै सुनता नहीं
               जो याद ....

तुझसे मिलने की चाहत रहती है
ये सांसे हर पल कहती है
तू मेरे जिस्म मै बहती है
पिघलती, जलती, मचलती है
                   जो याद ...

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