हाँ ... चाँद ही तो हो तुम
जिसकी रोशनी से मैने
रात के अँधेरे मै प्यार का सफ़र तय्किया
और इस सफ़र मै कई अमावस आई गई
हाँ .... पर शायद
यह अमावस बहुत लम्बी है
बहुत लम्बी है
फिर भी
खुद को जलाकर
जुगनू बनाकर
वन, वृक्ष, टहनियों पर
रहकर
उम्र भर
तकता रंहुंगा आसमान को
पूर्णिमा के इंतजार मै
तुम्हारे इंतजार मै ......
अनूप पालीवाल
1 टिप्पणी:
पूर्णिमा के इन्तजार में लम्बी हुई अमावस ...
इंतज़ार की इंतिहा तो नहीं ...!!
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