मेरे प्यार काम के साथ फुर्सत की घड़िया थी
तन्हाई थी बे खयाली थी बेफिक्री थी
और साथ मै थी
मुस्कुराती हर सुबह
और सपने सजाती हर शाम
उन् सपनों को पाने की तमन्ना
दिनों दिन बढने लगी
जैसे ख्वाहिसों को मंजिल मिल गई
इस ख्याल से की क्यों न जिंदगी मै रंग भरे
और बसाले साथ मै
अपनी दुनिया
समेट लेंगे हर लम्हा हर पल
और यूँ ही जिंदगी बिताएंगे मिलकर
" हम और तुम "
1 टिप्पणी:
बहुत बढ़िया...
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