बस इक झिझक है हाले दिल सुनाने मै
की तेरा जिक्र भी आएगा इस फ़साने मै
बरस पड़ी थी जो रुखा से नकाब उठाने मै
वो चांदनी है अभी मेरे गरीब खाने मै
इसी मै इश्क की किस्मत बदल भी सकती थी
जो वक़्त बीत गया मुझको आजमाने मै
ये कह के टूट पड़ा शाखे -गुल से आखरी फुल
अब और देर है कितनी बहार आने मै
- कैफ़ी आजमी
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